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गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

जलवायु परिवर्तन (climate change in hindi)

 जलवायु परिवर्तन (climate change in hindi)

आज के समय में जलवायु परिवर्तन(Climate Change) एक गंभीर पर्यावरण समस्या बन चुकी है। इसका मतलब है पृथ्वी के वातावरण में लंबे समय तक होने वाला तापमान और मौसम में बदलाव।यह बदलाव प्राकृतिक कारणों से भी हो सकता है, लेकिन इंसानी गतिविधियों जैसे प्रदूषण, जंगलों की कटाई और जीवाश्म ईंधन का अधिक प्रयोग इस समस्या को तेजी से बढ़ा रहे हैं।
 जलवायु परिवर्तन के प्रभाव दुनियाभर में महसूस किए जा रहे हैं- जैसे कि ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र स्तर में वृद्धि, सूखा, बाढ़, और असामान्य मौसम। इसलिए इस मुद्दे पर जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण की सख्त जरूरत है। इस लेख में आप जानेंगे कि जलवायु परिवर्तन क्या है, इसके मुख्य कारण क्या हैं, यह हमें कैसे प्रभावित करता है और इसे रोकने के लिए हम क्या-क्या कदम उठा सकते हैं।

 

जलवायु परिवर्तन से तात्पर्य 


जलवायु परिवर्तन का मतलब है मौसम और तापमान में धीरे-धीरे होने वाला बड़ा बदलाव। जैसे पहले जहां ठंड ज्यादा पड़ती थी वहां अब गर्मी बढ़ गई है, कहीं बारिश कम हो रही है तो कहीं जरूरत से  ज्यादा। यह बदलाव ज्यादातर इंसानों की वजह से हो रहा है- जैसे फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं, गाड़ियों का प्रदूषण, पेड़ों की कटाई आदि। इसके कारण धरती गर्म हो रही है, बर्फ पिघल रही है, समुद्र का पानी बढ़ रहा है, और मौसम अजीब हो रहे हैं। अगर हम अभी ध्यान नहीं देंगे तो इसका बुरा असर हमारी जिंदगी और आने वाली पीढियों पर पड़ेगा।


 जलवायु परिवर्तन के कारण


 जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
 

1.प्रदूषण


 फैक्ट्रियों, गाड़ियों और बिजली उत्पादन में जलाए जाने वाले कोयले और तेल से निकलने वाला धुआं वायुमंडल को गर्म करता है।

2. ग्रीन गैसें 


कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसे वातावरण में गर्मी को रोकती हैं, जिससे धरती का तापमान बढ़ता है। 

3. वनों की कटाई

 

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, लेकिन जब पेड़ों  को काटा जाता है तो यह गैस हवा में बढ़ जाती है।

4. औद्योगीकरण

 

फक्ट्रियां लगातार ग्रीन हाउस गैसे और गर्मी पैदा कर रही है, जिससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है।

5. जैव ईंधनों का अत्याधिक उपयोग 


पेट्रोल, डीजल, कोयलें जैसे ईंधनों का जलना जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा कारण है।

6. कचरे का जलना

 

प्लास्टिक और अन्य कचरे को जलाने से हानिकारक गैसे निकलती  है।
 ये सभी कारण मिलकर धरती को गर्म बना रहे हैं और जलवायु को असंतुलित कर रहे हैं।



प्रभाव


1. ग्लोबल वार्मिंग


 पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे ध्रुवों की बर्फ पिघल रही है।

2. समुद्र स्तर में वृद्धि

 बर्फ के पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय इलाकों को खतरा है।

3. अत्यधिक मौसम परिवर्तन


 कहीं ज्यादा वर्षा, कहीं सूखा, कहीं अत्यधिक गर्मी- मौसम अब असंतुलित होता जा रहा है।

4. जैव विविधता को खतरा

 कई प्रजाति विलुप्त हो रही हैं और पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो रहा है।

समाधान


1. नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग


 सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल विद्युत जैसे विकल्प अपनाकर जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करें।

2. वनारोपण


 अधिक से अधिक पेड़ लगाए और वनों की रक्षा करें। 

3. ऊर्जा संरक्षण


 बिजली और ईंधन की बचत करें, एलइडी लाइट्स और ऊर्जा दक्ष उपकरणों का प्रयोग करें। 

4. जागरूकता और शिक्षा 


लोगों को पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक बनाएं।


5. सरकारी नीतियां


 सख्त पर्यावरण कानून बनाकर प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाए।

भूमंडलीय पर्यावरण परिवर्तन


भूमंडलीय पर्यावरण परिवर्तन का अर्थ है पूरी पृथ्वी के पर्यावरण में धीरे-धीरे होने वाला बड़ा और व्यापक बदलाव। इसमें मुख्य रूप से पृथ्वी का तापमान बढ़ना (ग्लोबल वार्मिंग), मौसम के पैटर्न में बदलाव, समुद्र स्तर में वृद्धि, बर्फ का पिंघलना और प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में बढ़ोतरी शामिल है। यह परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों जैसे- फैक्ट्री से निकलने वाला धुआं, गाड़ियों का प्रदूषण, पेड़ों की कटाई और जीवाश्म इंधनों के अत्यधिक उपयोग के कारण हो रहा है। इसके कारण पूरी दुनिया में कृषि, जल स्रोत, मानव स्वास्थ्य और जैव विविधता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। भूमंडलीय पर्यावरण परिवर्तन को रोकने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।


 ग्रीन हाउस प्रभाव


 ग्रीन हाउस प्रभाव वह प्राकृतिक प्रक्रिया है जिससे पृथ्वी की सतह गर्म रहती है और जीवन संभव को पाता है। जब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर आती है तो पृथ्वी की सतह इन्हें अवशोषित करके कुछ ऊर्जा को वापस अंतरिक्ष में भेज देती है। लेकिन वायुमंडल में मौजूद ग्रीन हाउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और जलवाष्प- उस ऊर्जा को वापस पृथ्वी की सतह की ओर लौटा देती हैं, जिससे पृथ्वी गरम बनी रहती है।

 हालांकि यह प्रक्रिया जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन जब ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है (जैसे प्रदूषण,  वनों की कटाई आदि के कारण तो यह अत्यधिक गर्मी पैदा करती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है और जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ती है।


 जलवायु परिवर्तन से संबंधित मिशन


भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना(NAPCC) की शुरुआत 30 जून 2008 को की थी। इस योजना के तहत 8 प्रमुख मिशन निर्धारित किए गए हैं, जो शमन और अनुकूलन दोनों पहलुओं पर केंद्रित है।



 NAPCC के 8 मिशन राष्ट्रीय मिशन

1. राष्ट्रीय सौर मिशन 

2. राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता मिशन

3. राष्ट्रीय जल मिशन

4. राष्ट्रीय हरित भारत मिशन

5. राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन

6. राष्ट्रीय हिमालय स्थिति की मिशन

7. राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन में रणनीतिक ज्ञान

8. राष्ट्रीय शहरी सतत विकास मिशन




 जलवायु से संबंधित प्रमुख सम्मेलन


विश्व स्तर पर जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए गए हैं। इन सम्मेलनों का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सहयोग बढ़ाना, समाधान खोजना और नीतियां बनाना है। नीचे कुछ प्रमुख सम्मेलनों की जानकारी दी गई है:

1. रियो पृथ्वी सम्मेलन (1992)-


 यह सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जेनेरो में हुआ था। इसमें टिकाऊ विकास और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दिया गया। इस सम्मेलन में यूएनएफसीसीसी की नींव रखी गई।

 2. क्योटा प्रोटोकॉल( 1997)-

 यह एक अंतरराष्ट्रीय समझौता था जिसमें विकसित देशों को ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए बाध्य किया गया।


3. पेरिस समझौता (2015)- 


यह सम्मेलन फ्रांस के पेरिस में हुआ और इसमें सभी देशों ने दो डिग्री सेल्सियस से नीचे वैश्विक तापमान वृद्धि को रोकने का लक्ष्य रखा। यह समझौता ऐतिहासिक माना जाता है क्योंकि इसमें लगभग सभी देशों ने भाग लिया।

4. COP सम्मेलनों की श्रृंखला

 यह संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन ढांचे के तहत हर साल होने वाला सम्मेलन है।

 

 जलवायु परिवर्तन पर विश्व बैंक की रिपोर्ट


विश्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि जलवायु परिवर्तन भारत के लिए एक बड़ी चिंता बनता जा रहा है। इससे मौसम में बदलाव, बेमौसम बारिश, गर्मी बढ़ना, फसलों को नुकसान, पानी की कमी और लोगों की सेहत पर असर पड़ रहा है। अगर समय पर सही कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले सालों में देश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो सकती है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि हमें साफ ऊर्जा, बेहतर खेती के तरीके और ठंडी रखने वाली नई तकनीक में निवेश करना चाहिए ताकि हम इस समस्या से निपट सके।


 निष्कर्ष

जलवायु परिवर्तन आज हमारे समय की सबसे बड़ी पर्यावरण चुनौती बन चुका है। इसके बढ़ते प्रभाव न केवल प्रकृति है, बल्कि मानव जीवन, खेती, जल संसाधन और जीव जंतुओं पर भी गंभीर असर डाल रहे हैं। अगर समय रहते हम सभी ने पर्यावरण संरक्षण, हरित ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन में कमी जैसे कदम नहीं उठाए तो इसके परिणाम और भी विनाशकारी हो सकते हैं। इसलिए अब समय है जागरूक होने का प्रकृति के साथ ताल मेल बिठाने का और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास करने का





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लेखक परिचय

मैं, अनिल कुमार (अनिल चौधरी) जिसे A .K. Batanwal  के नाम से भी जाना जाता है। A-ONE IAS IPS ACADEMY, सरस्वती नगर (मुस्तफाबाद), जिला यमुनानगर, हरियाणा, पिन कोड 133103 का संस्थापक और प्रबंध निदेशक हूं, साथ ही, मैं इस वेबसाइट

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