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रविवार, 11 मई 2025

सिलोजिज्म(syllogism)

 सिलोजिज्म(syllogism) 

तर्कशक्ति और रीजनिंग की तैयारी में सिलॉजिज्म एक महत्वपूर्ण विषय है, जो अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे एसएससी, बैंकिंग, यूपीएससी और अन्य सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं में पूछा जाता है। सिलॉजिज्म एक तार्किक विधि है जिसमें दिए गए कथनों के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है। यह विषय न केवल आपकी लॉजिकल थिंकिंग को दर्शाता है, बल्कि प्रश्नों को जल्दी और सही ढंग से हल करने की क्षमता भी बढ़ाता है। इस लेख में आप जानेंगे सिलॉजिस्म का अर्थ, इसके मुख्य प्रकार, हल करने की आसान
 ट्रिक्स और कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण ताकि आप इस विषय को पूरी तरह समझ सके और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें।

सिलॉजिज्म 


सिलॉजिज्म तर्कशास्त्र का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें दो या अधिक कथनों(प्रिमाइसेस) के आधार पर एक निष्कर्ष निकाला जाता है। इसका उपयोग सामान्यत: प्रतियोगी परीक्षाओं में तर्कशक्ति मापने के लिए किया जाता है।

सिलॉजिज्म की संरचना

1. प्रिमाइस /वाक्य (Premise)


ये वे कथन होते हैं जिनके आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है। 
आमतौर पर दो प्रिमाइस  होते हैं:

 1. वृहद प्रिमाइस/प्रमुख प्रिमाइस/ वृहद वाक्य(Major Premise)

2. लघु प्रिमाइस/ गौण प्रिमाइस/ लघु वाक्य(Minor Premise) 


2. निष्कर्ष(Conclusion)


 यह वह तर्क है जो प्रिमाइस के आधार पर निकाला जाता है।


उदाहरण-1

 प्रमुख प्रिमाइस: सभी मनुष्य नश्वर होते हैं
 गौण प्रिमाइस: सोहन एक मनुष्य है
 निष्कर्ष: इसलिए, सोहन नश्वर है 

यह एक सही तर्क है क्योंकि निष्कर्ष प्रिमाइस पर आधारित है और तार्किक रूप से सही है।

उदाहरण-2

 प्रमुख प्रिमाइस: सभी फल मीठे होते हैं
 गौण प्रिमाइस: नींबू एक फल है
 निष्कर्ष: इसलिए, नींबू मीठा है

 यह तर्क गलत है क्योंकि प्रिमाइस में कुछ गलत जानकारी है (नींबू खट्टा होता है)

 

सिलॉजिज्म के प्रकार


 सिलोजिज्म मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:

 1. शुद्ध न्याय(Pure syllogism)


 इसमें तीनों वाक्य एक ही संबंध के होते हैं।

  •  शुद्ध निरपेक्ष न्याय(Categorical Syllogism)


 इसमें सभी वाक्य निरपेक्ष होते हैं।

  •  शुद्ध हेत्वाश्रित न्याय(Hypothetical Syllogism)


 इसमें वाक्य 'यदि.... तो' के रूप में होते हैं

  •  शुद्ध वैकल्पिक न्याय(Disjunctive Syllogism)


 इसमें वाक्य 'या' के रूप में होते हैं

 2.मिश्रित न्याय(Mixed Syllogism)

 इसमें वाक्य विभिन्न संबंधों के होते हैं।

  •  हेत्वाश्रित निरपेक्ष न्याय(Hypothetical Categorical Syllogism):


 इसमें एक वाक्य हेत्वाश्रित और अन्य निरपेक्ष होते हैं

  •  वैकल्पिक निरपेक्ष न्याय(Disjunctive Categorical Syllogism)


 इसमें एक वाक्य वैकल्पिक और अन्य निरपेक्ष होते हैं



कथनों के प्रकार


सिलोजिज्म में चार प्रकार के कथन होते हैं:

1. सार्वभौमिक सकारात्मक(Universal Affirmative)

 
सभी A,B है
 उदाहरण: सभी कुत्ते जानवर है

2. सार्वभौमिक नकारात्मक(Universal Negative)


 कोई भी A,B नहीं है 

उदाहरण: कोई भी बिल्ली कुत्ता नहीं है

 3. विशेष सकारात्मक(Particular Affirmative)


 कुछ A,B हैं

 उदाहरण कुछ पक्षी उड़ सकते हैं 


4. विशेष नकारात्मक(Particular Negative)



कुछ A,B नहीं है 

उदाहरण: कुछ फल मीठे नहीं होते


निष्कर्ष निकालने की प्रक्रिया


 सिलोजिज्म में निष्कर्ष निकालने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है:

1. कथनों का विश्लेषण करें:


 दोनों आधार वाक्यों को ध्यान से पढ़ें।

 2. समान पदों की पहचान करें:


 मध्यवर्ती पद की पहचान करें जो दोनों आधार वाक्य में समान हो।

 3. निष्कर्ष पर विचार करें:


 दोनों आधार वाक्यों के आधार पर संभावित निष्कर्षों पर विचार करें।

 4. निष्कर्ष की सत्यता जांचें:


 यह सुनिश्चित करें कि यह निष्कर्ष दोनों आधार वाक्यों से तार्किक रूप से निकाला गया है।
 


निष्कर्ष निकालने के नियम:-


1. दो नकारात्मक प्रिमाइस से कोई निष्कर्ष नहीं निकल सकता। 

2. दो सकारात्मक प्रिमाइस से सकारात्मक निष्कर्ष निकलेगा 

3. एक सकारात्मक और एक नकारात्मक प्रिमाइस से नकारात्मक निष्कर्ष निकलेगा।


निष्कर्ष


सिलॉजिज्म रीजनिंग का एक ऐसा टॉपिक है जो आपकी तार्किक सोच और निष्कर्ष निकालने की क्षमता को परखता है। यह विषय सभी प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे एसएससी, बैंक, यूपीएससी,  रेलवे आदि में अक्सर पूछा जाता है। यदि आप इसके नियमों को अच्छे से समझ ले और नियमित अभ्यास करें, तो आप इस टॉपिक में आसानी से अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।


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लेखक परिचय

मैं, अनिल कुमार (अनिल चौधरी) जिसे A .K. Batanwal  के नाम से भी जाना जाता है। A-ONE IAS IPS ACADEMY, सरस्वती नगर (मुस्तफाबाद), जिला यमुनानगर, हरियाणा, पिन कोड 133103 का संस्थापक और प्रबंध निदेशक हूं, साथ ही, मैं इस वेबसाइट

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