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रविवार, 4 मई 2025

भारत की नदियां(indian rivers in hindi)

 भारत की नदियां (indian rivers in hindi)



भारत एक प्राचीन और विविधता पूर्ण देश है, जहां की नदियां न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक जीवन की आधारशिला भी हैं। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, नर्मदा और कृष्णा जैसी नदियां देश के विभिन्न क्षेत्रों में जल आपूर्ति, कृषि परिवहन और ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख स्रोत है। इन नदियों ने भारत की सभ्यता को जन्म दिया और उसे विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। इस लेख में हम भारत की प्रमुख नदियों के उद्गम स्थल, प्रवाह क्षेत्र, धार्मिक महत्व और उनके पर्यावरणीय योगदान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

भारत में 4 प्रकार की नदी प्रणालियां हैं


 1. हिमालय नदी तंत्र
2.  प्रायद्वीपीय नदी तंत्र
3. तटवर्ती नदियां
4. अंतर्देशीय नाले और द्रोणी क्षेत्र की नदियां

1. हिमालयी नदी तंत्र (हिमालय से निकलने वाली नदियां):-


यह नदियां बर्फ ग्लेशियर से निकलती है और पूरे साल पानी रहता है।

1. सिंधु नदी तंत्र   

  • झेलम 
  • चिनाब 
  • रावी
  • व्यास 
  • सतलुज

2. गंगा नदी तंत्र

  • यमुना 
  • चंबल
  •  गंडक 
  • घाघरा
  •  कोसी

3. ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र

  • लोहित
  •  दिवांग
  •  सुबानसिरी
  •  मानस 
  • धनसिरी

1. झेलम नदी


 झेलम नदी भारत और पाकिस्तान के एक महत्वपूर्ण नदी है, जो सिंधु नदी की सहायक नदी है। यह नदी भारत के जम्मू कश्मीर से निकलकर पाकिस्तान में चिनाब नदी में मिलती है।

 1. झेलम नदी कहां से निकलती है?


 झेलम नदी का उद्गम जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित बैरीनाग झरने से होता है। यह झरना पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में स्थित है और इसका जल बर्फबारी से पोषित होता है।

 2. झेलम नदी कहां-कहां बहती है?


 झेलम नदी श्रीनगर से होकर बहती है और डल झील तथा वुलर झील से जुड़ती है।

 फिर यह बारामूला जिले से गुजरती है और पाकिस्तान में प्रवेश करती है।

 पाकिस्तान में मंगला बांध से होते हुए यह चिनाब नदी में मिल जाती है।

 3. झेलम नदी की विशेषताएं


 लंबाई- लगभग 725 किलोमीटर
 मुख्य सहायक-किशनगंगा नदी
  प्रमुख झीलें- डल झील, वुलर झील 
महत्वपूर्ण बांध- मंगला बांध( पाकिस्तान)
 महत्वपूर्ण शहर- श्रीनगर, बारामूला, झेलम( पाकिस्तान)

 4. झेलम नदी का ऐतिहासिक महत्व


 प्राचीन काल में झेलम को वितस्ता कहा जाता था जिसमें जिक्र ऋग्वेद और महाभारत में मिलता है।

 326 ईसा पूर्व में सिकंदर और पोरस के बीच एक बड़ा युद्ध झेलम की नदी के किनारे लड़ा गया था।

 मुगलकाल में इसके तट पर कईं बाग -बगीचे बनाए गए थे।

5.  झेलम नदी पर बड़े-बड़े बांध और परियोजनाएं


 मंगला बांध:- पाकिस्तान में स्थित यह बांध दुनिया के सबसे बड़े बांधों में से एक है।

 उरी जलविद्युत परियोजना:- भारत में स्थित, बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।

 किशनगंज जल विद्युत परियोजना:- झेलम की सहायक नदी पर बनी यह परियोजना 330 मेगावाट बिजली बनती है।

 6. झेलम नदी की समस्याएं:-


 जलवायु परिवर्तन के कारण नदी का जल स्तर घट रहा है।

 नदी में बढ़ता प्रदूषण इसका जल खराब कर रहा है।

 बाढ़ का खतरा:- 2014 में आई झेलम नदी की बाढ़ ने जम्मू कश्मीर में भारी तबाही मचाई थी

 7. निष्कर्ष:


 झेलम नदी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह कृषि, जल, आपूर्ति और बिजली उत्पादन में मदद करती है। लेकिन प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और राजनीतिक विवाद इसके लिए खतरा बन रहे हैं। इसका संरक्षण बहुत जरूरी है ताकि यह व्यवस्था में भी उपयोगी बने रहे।



चिनाब नदी

 परिचय

 चिनाब नदी भारत और पाकिस्तान में बहने वाली एक प्रमुख नदी है यह भारत में जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से होकर बहती है और पाकिस्तान में जाकर झेलम नदी में मिलती है।

 उद्गम स्थल

 चिनाब नदी का उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में स्थित बारालाचा दर्रा से होता है, जहां दो नदियां चंद्र और भागा मिलकर चिनाब का निर्माण करती है।

 बहाव क्षेत्र

 हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पाकिस्तान (पंजाब प्रांत) 

प्रमुख सहायक नदियां 

माइनस नाला, तावी नदी, मारू नदी 

प्रमुख बांध और जल विद्युत परियोजनाएं

 बगलिहार बांध (जम्मू कश्मीर)


 

2. प्रायद्वीपीय नदियां (दक्षिण से निकलने वाली नदियां):-


 ये नदियां बारिश पर निर्भर होती है, इसलिए गर्मियों में इनका पानी कम हो सकता है।

 बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां : 

  • गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, महानदी,

 अरब सागर में गिरने वाली नदियां: 

  • नर्मदा, ताप्ती, माही, साबरमती

3. तटवर्ती नदियां 


तटवर्ती नदियां वे नदियां होती हैं जो समुद्र के किनारे बहती हैं और जल्दी समुद्र में मिल जाती है। ये ज्यादातर छोटी और बारिश पर निर्भर होती है।

 भारत में तटवर्ती नदियां



1. पूर्वी तट की नदियां (बंगाल की खाड़ी में गिरती है):-

  •  सुवर्णरेखा 
  • वंशधारा 
  • पेन्नार
  •  वैगई 


2. पश्चिम तट की नदियां (अरब सागर में गिरती है):-

  •  मांडवी
  •  जुरी
  •  शरावती
  •  भारतपुझा

[समुद्र के पास बहने वाली छोटी नदियां = तटवर्ती नदियां]

4. अंतर्देशीय नाले और द्रोणी क्षेत्र की नदियां


1. अंतर्देशीय नाले(Inland Drainage):-


  वे नाले या नदियां जो समुद्र तक नहीं पहुंचती और बीच में ही सूख जाती है। या किसी झील में गिरती है ये ज्यादातर सूखे इलाके में पाए जाती हैं।

 उदाहरण:

  •  राजस्थान के नाले- पानी रेत में सूख जाता है

  •  सांभर झील (राजस्थान)- कई नाले इसमें गिरते हैं, लेकिन यह समुद्र से नहीं जुड़ती है।

  •  लोनार झील (महाराष्ट्र)- यहां भी पानी बाहर नहीं निकलता

  •  थार मरुस्थल (राजस्थान)- यहां की छोटी नदियां समुद्र तक नहीं पहुंच पाती और रेत में सूख जाती है


2. द्रोणी क्षेत्र की नदियां(Rift Valley Rivers)


  • द्रोणी क्षेत्र यानी जहां जमीन धंसकर एक गहरी घाटी बना लेती है। 

  • ऐसी घाटियों में बहने वाली नदियां द्रोणी क्षेत्र की नदियां कहलाती हैं। 

  • ये नदियां आमतौर पर सीधी दिशा में बहती है और ज्यादा घुमाव नहीं लेती

उदाहरण

 नर्मदा नदी:-

  •  मध्य प्रदेश से निकलकर अरब सागर में जाती है।

 ताप्ती:- 

  • मध्य प्रदेश से निकलकर अरब सागर में मिलती है।

 सोन नदी:- 

  • मध्य भारत से निकलकर गंगा में मिलती है।


भारत में प्रायद्वीपीय नदियां


 गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा, ताप्ती, महानदी और दामोदर भारत की कुछ प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियां हैं। इनमें से अधिकांश नदियां पश्चिमी घाट से उठने के बाद मध्य और दक्षिण भारत के अधिकांश  भाग से होकर बहती है। प्रायद्वीपीय नदियां गैर बारहमासी, मौसमी है और बरसात के मौसम में अधिकतम पानी प्राप्त करती हैं।

1. गोदावरी नदी 


  • यह सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली है। इसके कारण इसे दक्षिण गंगा भी कहा जाता है।

  •  यह पश्चिमी घाट में नासिक के निकट एक झरने से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में अपने पानी को छोड़ती है।

  •  यह छोटा नागपुर पठार, पलामू जिला झारखंड से निकलती है पूर्व दिशा में बहते हुए पश्चिम बंगाल में हुगली नदी में मिल जाती है। 

  • यह अतिप्रदूषित नदी है यह बंगाल का शौक कहलाती है। इसका प्रभाव क्षेत्र झारखंड एवं पश्चिम बंगाल राज्य है।

  •  इसकी सहायक नदियां महाराष्ट्र के राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के माध्यम से निकलती है।

  •  पेनगंगा, इंद्रावती, प्राणहिता और मंजरा इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।

 

2. कृष्णा नदी


  •  यह दूसरी सबसे बड़ी पूर्वी प्रयाद्वीपीय नदी है।

  •  कृष्णा नदी का उद्गम महाबलेश्वर से होता है। यह बंगाल की खाड़ी में डेल्टा बनाती है।

  •  यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश से होकर बहती है।

  •  सहायक नदियां- भीमा, तुंगभद्रा, कोयना, वर्णा, पंचगंगा, घाटप्रभा, दूधगंगा, मालप्रभा एवं मूसी।

3. महानदी 


  • महानदी का उद्गम मैकाल पर्वत की सिंहाना पहाड़ी (धमतरी जिला, छत्तीसगढ़ ) से होता है।

  •  इसका प्रभाव क्षेत्र छत्तीसगढ़ एवं ओड़िशा राज्य में है। यह बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है। यह 851 किलोमीटर लंबी है।

4. कावेरी नदी


  • कावेरी नदी कर्नाटक राज्य के कुर्ग जिले की ब्रह्मगिरि की पहाड़ियों से निकलती है।

  •  सहायक नदियां- लक्ष्मण तीर्थं, कंबिनी, सुवर्णावती, भवानी, अमरावती, हेरंगी, हेमावती, शिमसा, अर्कवती

5. नर्मदा नदी


  •  नर्मदा नदी मैकाल पर्वत की अमरकंटक चोटी से निकलती है।

  •  यह अमरकंटक पठार के पश्चिम दिशा में लगभग 1057 मी की ऊंचाई पर दक्षिण में सतपुड़ा और उत्तर में विंध्य श्रृंखला के बीच दरार घाटी में से निकलती है।

  •  यह अरब सागर में गिरने वाली प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है।

  •  खंभात की खाड़ी में गिरने पर यह ज्वारनदमुख का निर्माण करती है।
  •  सहायक नदियां- तवा, बरनेर, दूधी, शक्कर, हिरन, बरना कोनार, माचक

6. तापी नदी


  •  तापी नदी मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुल्लाई नामक स्थान से निकलती है। यह सतपुड़ा एवं अजंता पहाड़ी के बीच भ्रंश घाटी में बहती है।

  •  यह 724 किलोमीटर लंबी है और 65,145 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बहती है।

  •  तापी नदी खंभात की खाड़ी में अपना जल गिराती है।

  •  सहायक नदियां- पूर्णा, बेतूल पाटकी अरूणावती, गांजल, धातरंज, अनेर, बोकाड,मैं, गुली


भारत की नदियां

 गंगा नदी


लंबाई -2525 किलोमीटर
 स्रोत- गंगोत्री( उत्तराखंड)
 प्रवाह- उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड, बंगाल
 विलय -बंगाल की खाड़ी

 

यमुना नदी


लंबाई -1376 किलोमीटर
स्त्रोत -यमुनोत्री उत्तराखंड
प्रवाह -उत्तराखंड यूपी हरियाणा दिल्ली
विलय -गंगा


ब्रह्मपुत्र नदी 

लंबाई -2900 किलोमीटर
स्त्रोत -मानसरोवर, तिब्बत
प्रवाह -अरुणाचल, असम
विलय -बंगाल की खाड़ी

सिंधु नदी 


लंबाई -3180 किलोमीटर
स्त्रोत -तिब्बत
प्रवाह -लद्दाख, जम्मू कश्मीर
विलय -

गोदावरी नदी 


लंबाई -1465 किलोमीटर
स्त्रोत -महाराष्ट्र
प्रवाह -महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश
विलय -बंगाल की खाड़ी

कृष्णा नदी 


लंबाई -1400 किलोमीटर
स्त्रोत -महाराष्ट्र
प्रवाह -महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश
विलय -बंगाल की खाड़ी


नर्मदा नदी 

लंबाई -1312 किलोमीटर
स्त्रोत -मध्य प्रदेश
प्रवाह -मध्य प्रदेश, गुजरात
विलय -अरब सागर

कावेरी नदी 


लंबाई -800 किलोमीटर
स्त्रोत -कर्नाटक
प्रवाह -कर्नाटक, तमिलनाडु
विलय -बंगाल की खाड़ी

निष्कर्ष -भारत की नदियां और उनके अमूल्य योगदान


भारत की नदियां न केवल जल का स्रोत है, बल्कि वह हमारे देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और आर्थिक धरोहर भी हैं। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा जैसी नदियां भारतीय समाज की जीवन रेखा है। इन नदियों से लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है और कृषि से लेकर उद्योग तक हर क्षेत्र में इनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज जब जल संकट और प्रदूषण जैसी समस्या बढ़ रही हैं, तब भारत की नदियों के संरक्षण और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। यदि हम इन नदियों को सुरक्षित रखते हैं, तो यह न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढियां के लिए भी अमूल्य धरोहर सिद्ध होंगी।

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लेखक परिचय

मैं, अनिल कुमार (अनिल चौधरी) जिसे A .K. Batanwal  के नाम से भी जाना जाता है। A-ONE IAS IPS ACADEMY, सरस्वती नगर (मुस्तफाबाद), जिला यमुनानगर, हरियाणा, पिन कोड 133103 का संस्थापक और प्रबंध निदेशक हूं, साथ ही, मैं इस वेबसाइट

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