पाषाण काल(stone age in hindi)
पाषाण काल मानव इतिहास का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण युग था, जब मानव ने पहली बार पत्थर से औजार बनाकर उनका उपयोग करना शुरू किया। यह युग मानव सभ्यता के विकास की नींव रखता है और इसी काल में आज की खोज, शिकार, चित्रकला, कृषि और पशुपालन जैसे महत्वपूर्ण बदलाव हुए। पाषाण काल को तीन भागों में विभाजित किया गया है पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल -जिनमें मानव जीवन शैली और तकनीकी प्रगति का क्रमिक विकास देखा जाता है।IAS और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पाषाण युग एक अत्यंत महत्वपूर्ण टॉपिक है, क्योंकि यह भारतीय इतिहास की शुरुआत को समझने का आधार प्रदान करता है।
पाषाण काल
पाषाण युग वह समय था जब इंसान पत्थर के औजारों का इस्तेमाल करता था। पाषाण काल को तीन भागों में बांटा जाता है
1. पुरापाषाण काल
2. मध्य पाषाण काल
3. नवपाषाण काल
1. पुरापाषाण काल
यह युग सबसे लंबा था। लोग गुफाओं में रहते थे। शिकार करना और फल इकट्ठा करना इनका मुख्य काम था। पत्थर के औजार मोटे और अनगढ़ थे।
पुरापाषाण काल को तीन भी भागों में बांटा गया है
1. निम्न पुरापाषाण काल
2. मध्य पुरापाषाण काल
3. उच्च पुरापाषाण काल
1. निम्न पुरापाषाण काल
1. खानाबदोश जीवन
2. शिकार करना, मछली पकड़ना, भोजन इकट्ठा करना
3. गुफा में रहना
4. फल तथा बड़े जानवरों को मारकर खाना
5. हिम युग
6. वृक्ष के पत्ते, छाल से तन ढकना
7. सबसे लंबा काल
8. कोर प्रणाली (कोर संस्कृति )
9. पत्थरों से निर्मित औजार, बड़े पत्थरों के औजार , 10. भारी पत्थर से हथियार, गोल पत्थर (पेबुल )
हस्त कुठार (हैण्ड एक्स), खण्डक(चोपर), विदारणी ( कलीवर )
अवशेष-
असम की घाटी, सिंधु घाटी, बेलन घाटी ,नर्मदा घाटी,
कश्मीर-पोतवार का पठार( पाकिस्तान)
राजस्थान -मरूभूमि में डीडवाना
महाराष्ट्र- नेवासा
मध्य प्रदेश- भीमबेटका
तमिल नाडु-अहिरामपककम
2. मध्य पुरापाषाण काल
1. खानाबदोश जीवन
2. शिकार करना, मछली पकड़ना, भोजन इकट्ठा करना।
3. गुफा में रहना
4. फल तथा बड़े जानवरों को मारकर खाना
5. छोटे आकार के औजार
6. फलक संस्कृत (फलक प्रणाली)
7. क्वार्ट्टजाइट के स्थान पर जैस्पर ,फ्लिंट ,चर्ट पत्थरों से औजार
भेदनी ,छेदनी, खुरचनी,तक्षणी का प्रयोग
अवशेष -
महाराष्ट्र- नेवासा
हथनौरा - मानव कंकाल
नर्मदा नदी के किनारे - शिल्प सामग्री
3. उच्च पुरापाषाण काल
1. खानाबदोश जीवन
2. शिकार करना ,मछली पकड़ना, भोजन इकट्ठा करना
3. गुफा में रहना
4. फल तथा बड़े जानवरों को मारकर खाना
5. ब्लड संस्कृति (ब्लड प्रणाली) से हथियार बनाये जाते थे
6. औजार अधिक तेज व चमकीले
7. हिम युग की समाप्ति (बर्फ धीरे-धीरे पिघलनी शुरू होने लगी आद्रता कम हो गई)
अवशेष-
तेज व चमकीले औजार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दक्षिण उत्तर प्रदेश और बिहार के पठार में मिले
भारत में 566 स्थल पाए गए
चित्रकारी एवं नक्काशी की पहली बार शुरुआत-हिरण/ बारहसिंघा के चित्र
बेलन घाटी में मातृ देवी की मूर्ति
2. मध्यपाषाण काल
लोग छोटे-छोटे औजार बनाने लगे। जानवरों को पालतू बनाया गया। नदी के किनारे बसने लगे।
1. पालतू बनाने की शुरुआत (कुत्ता ,भेड़ ,बकरी)
2. शिकार करना, मछली पकड़ना, भोजन में इकट्ठा करना
3. गुफा में रहना
4. फल व बड़े -छोटे जानवरों को मारकर खाना
5. औजार का बहुत छोटा आकार 1 सेंटीमीटर से 8 सेंटीमीटर
सूक्षम पाषाण काल कहा जाता है ।
6. छोटे पत्थरों के औजार- सफ,टिक कार्नेलियन कैल्सिडोनी अग्रेट
7. माइक्रोलिथ (छोटे औजार) पहली बार Carlyle के द्वारा 1667 में विंध्याचल पर्वत के क्षेत्र में पाए गए हैं।
8. तीर कमान प्रणाली का आविष्कार लेकिन प्रयोग नवपाषाण काल में
9. हड्डी और सींग से निर्मित उपकरण
10. चकमक पत्थर से आग का पहली बार प्रयोग
11. प्राकृतिक शक्तियों में विश्वास- बाढ़, भूकंप
12. मृतकों को भूमि में गाड़ना
13. जलवायु गरम व शुष्क
14. गर्मी एवं सूखा होने की वजह से नए क्षेत्रों की ओर अग्रसर होना संभव हुआ
15. पेड़ पौधों और जीव जंतुओं में परिवर्तन
अवशेष
1. भीमबेटका ( मध्य प्रदेश)- पत्थर पर चित्रकारी।
2. सरायनाहरराय (उत्तर प्रदेश)- युद्ध का साक्ष्य ,
17 नर कंकाल (लेखइया ,उत्तर प्रदेश) , पशुओं की हड्डियां
एक कब्र में चार मानव , चूल्हे, चूल्हे में जली हुई हड्डियां
हत्या का प्रथम साक्ष्य (कंकाल के सिर में पत्थर घुसा हुआ मिला)
3. चोपनीमांडो (इलाहाबाद ,उत्तर प्रदेश)- मिट्टी के बर्तन के प्रथम साक्ष्य।
झोपड़ी के साक्ष्य (नवपाषाण काल में)
4. महदहा( उत्तर प्रदेश)- सिलबट्टे के साक्ष्य, युगल शवाधान, हड्डी के आभूषण, हिरण के सींग के छल्ले
5. बागोर ( भीलवाड़ा जिला ,राजस्थान )-पशुपालन के प्रथम साक्ष्य (पशुपालन की शुरुआत)
6. आदमगढ़ (मध्य प्रदेश)- पशुपालन के प्राचीनतम साक्ष्य
3. नवपाषाण काल
लोग खेती करना सीख गए। मिट्टी के बर्तन और चाकू जैसे औजार बनाएं। स्थाई गांव बसने लगे।
1. स्थायी जीवन की शुरुआत
2. झोपड़ी बनाना
3. कृषि करना
4.फल ,छोटे बड़े जानवरों को मारकर खाना व अनाज
5. मिट्टी के बर्तनों का उपयोग (चाक का ज्ञान)
6. कपास ,ऊन सिर्फ लपेटने के लिए सिले हुए कपड़े नहीं पहनते थे।
7. आस्था का जन्म -मूर्ति पूजा की शुरुआत , मातृ देवी की पूजा
8. बीज बोना ,सिंचाई करना ,कटाई करना ,भंडारण करना
9. नवपाषाण काल में मनुष्य कृषक और पशुपालक दोनों था।
10. धातु का ज्ञान
11. आग का प्रयोग
निष्कर्ष
पाषाण काल न केवल मानव इतिहास की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह उस युग की कहानी भी कहता है जब इंसान ने प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की कला सीखी। इस काल में आग की खोज, औजारों का निर्माण, चित्रकला, कृषि और पशुपालन जैसी क्रांतिकारी गतिविधियां मानव विकास के महत्वपूर्ण चरण साबित साबित हुई। पुरा पाषाण से लेकर नव पाषाण तक की यात्रा मानव समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और तकनीकी प्रगति को दर्शाती हैं।
पाषाण युग में इंसान ने धीरे-धीरे शिकार से खेती और गुफाओं से गांव तक का सफर तय किया। यह युग इंसानी सभ्यता की शुरुआत का प्रतीक है।
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लेखक परिचय
मैं, अनिल कुमार (अनिल चौधरी) जिसे A .K. Batanwal के नाम से भी जाना जाता है। A-ONE IAS IPS ACADEMY, सरस्वती नगर (मुस्तफाबाद), जिला यमुनानगर, हरियाणा, पिन कोड 133103 का संस्थापक और प्रबंध निदेशक हूं, साथ ही, मैं इस वेबसाइट
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